Ayodhya, एक स्थान जहां अलगवाद के नाम पर बहुत से विवाद हुए हैं। इसी विवाद में शामिल एक आम बंदी पड़ोसन, Shabnam Shaikh है, जिसने अपने लहू से अपना इश्क करार दिया है।

उनकी दृढ़ता और टूटते हुए मित्रता के बावजूद, मौलानाओं के फतवों ने उन्हें कठघड़ा अपने मार्ग पर आगे बढ़ने पर मजबूर किया है। Shabnam Shaikh का जवाब मौलानाओं को झन्नाटेदार है, जिसने दिखाया है कि प्यार और शान्ति सभी धर्मों के बीच मौजूद हो सकती है।
Shabnam Shaikh : Ayodhya की यात्रा
जिसको लेकर Shabnam Shaikh का कहना है कि वह भारत की बेटी है।लेकिन मैं भगवान Shri Ram की भक्त हूं और अंतिम क्षण तक रहूंगी। मेरे माता-पिता मेरे पहनावे पर कोई कमेंट नहीं करते तो यह मौलवी और मौलाना कौन होते है।यह किसी आम इंसान की कहानी से कम नहीं है, वह घनिष्ठ Bhakt है जो भगवान Shri Ram की पवित्र भूमि, Ayodhya की ओर यात्रा कर रहा है। Shabnam Shaikh ने अपने परिवार, समाज और धार्मिक विचारों के भारतीय संस्कृति के प्रतीक के रूप में जा रही है। लेकिन इस पवित्र यात्रा में उनके सिर पर हिजाब होने के कारण, मौलवियों ने उन पर फतवा जारी कर दिया है। यह फतवा उनके निष्ठा को दिखाता है और जबरन रोकते हुए उन्हें यात्रा से हटाने की कोशिश कर रहा है।
Shabnam Shaikh Ayodhya: लहू में Ram की कड़ी श्रद्धा
Shabnam Shaikh, इतनी यात्रा करने के बावजूद, एक मात्र उद्देश्य के साथ, अपने प्यार के साक्षात रूप को देखने के लिए जा रही हैं – Ram Mandir। उनकी सोच में सुंदरता है, जो हिजाब और भगवा झंडे की एक अनोखी मिलान है। यह वास्तविकता को दर्शाता है कि प्रेम और समझदारी काटजूले कई बार आपसी बंधनों को एकजुट करने में सक्षम होते हैं।
मौलानाओं के फतवे पर Shabnam Shaikh का झन्नाटेदार जवाब: Ayodhya
मौलानाओं के फतवे ने Shabnam Shaikh को रुकने के लिए प्रयास किया है, लेकिन उन्होंने उन बाधाओं को पार किया है और अपनी प्रेम भंडार Ram कोरबटे में ले जाने का निर्धारण किया है। Shabnam Shaikh ने मान्यता से इन्कार किया है कि प्रेम और शांति केवल एक धर्म या समुदाय के लिए ही सीमित नहीं होते हैं। उन्होंने दर्शाया है कि एक प्रेमी सबको एक साथ ढेर सारा प्यार और सम्मान देने की क्षमता रख सकता है।
मौलवियों का फतवा: धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रहार: Ayodhya
Shabnam Shaikh के खिलाफ मौलवियों के द्वारा जारी किए गए फतवे को देखकर आप वास्तव में आश्चर्यचकित हो जाएंगे। क्या इतनी धार्मिक स्वतंत्रता नहीं हो सकती है जब एक युवा बाइक पर यात्रा करके अपनी आस्था को प्रगट करता है? क्या भारतीय संविधान में धर्म और आस्था की स्वतंत्रता की यह अपेक्षा नहीं है? यह आपके सोचने को मजबूर करता है कि क्या हम वास्तव में एक समान और समझदार समाज हैं जहां हर किसी को अपने मानने की स्वतंत्रता हो सके।

नालासोपारा की रहने वाली Shabnam Shaikh: Ayodhya
Mumbai के नालासोपारा की रहने वाली 21 साल की Shabnam Shaikh ने 28 दिनों पहले Ayodhya धाम के लिए यात्रा शुरू की थी। Shabnam Shaikh का कहना है कि वह जहां पर रहती है वह हिंदू बाहुल्य इलाका है। मैं हमेशा से हिंदू देवी देवताओं को मानती आ रही हूं। मैंने अजान से पहले Mandir की घंटी एवं पूजा सुनी है। मेरी आस्था भगवान Ram, भगवान शिव के अलावा अन्य देवी देवताओं में भी है, लेकिन मेरे धर्म के कुछ मौलाना एवं मौलवी मेरी इस यात्रा में बाधा डालना चाहते हैं।
Ayodhya यात्रा: एक नई अनुभव की शुरुआत
Ayodhya के Ram Mandir की संगठना पूरे देश में बड़ी धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। Shabnam Shaikh की तरह कई धार्मिक और सामाजिक समूहों के सदस्य भी अयोध्या यात्रा पर उत्सहित हो रहे हैं। यह एक नई अनुभव की शुरुआत हो सकती है, जिसमें लोग अपने आध्यात्मिक और धार्मिक आस्था को साझा कर सकते हैं। इसके साथ ही, इंसानियत और सहानुभूति के गुण भी प्रकट हो सकते हैं, जैसा कि Shabnam Shaikh ने अपने कथनों में दिखाया है।
धार्मिक संबंधों की बेहतरीन मिसाल: Ayodhya
Shabnam Shaikh की Ayodhya यात्रा पर गवाही देते हुए हम देख सकते हैं कि संवेदनशीलता और समाधानशीलता से हम अपने धार्मिक संबंधों को साझा कर सकते हैं। हिंदू और मुस्लिम समाज के बीच जो दरार बन गई है, उसे कहीं न कहीं भरने के लिए इस यात्रा का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। धार्मिक सहिष्णुता और समरसता का पैगाम हम सबको डिलीवर करना होगा, जिसकी शुरुआत Shabnam Shaikh ने उदाहरण स्वरूप अपनी यात्रा में कर दी है।

Ayodhya :परम आदर्श: संघटना के फतवों के मुकाबले अद्वितीय जवाब
विभिन्न धार्मिक संघटनाओं ने Shabnam Shaikh की अयोध्या यात्रा पर उंगलियां उठाई हैं, लेकिन Shabnam Shaikh का बड़ा जवाब है – उनके मत और आस्था का हक उनके साथ ही है। हर किसी को अपनी आस्था के अनुसार यात्रा करने का अधिकार होना चाहिए और उसे कोई फतवा या राय का आपातकाल में प्रभाव नहीं डाल सकता। Shabnam Shaikh की Ayodhya यात्रा उनकी बहादुरी और साहस का प्रतीक है, जो सभी को संघटना के फतवों के मुकाबले अद्वितीय जवाब देने की साहसिकता का दिखावा करती है।