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Ayodhya में निर्माणाधीन Shri Ram Janmbhoomi मंदिर: क्या इससे होगा भारतीय संस्कृति में बदलाव?

Shri Ram Janmbhoomi मंदिर का आतंकवादी हमले के बाद Ayodhya के संबंध में घोर विवाद चला था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, Shri Ram Janmbhoomi मंदिर निर्माण का आदेश जारी किया गया है। यह मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है, जिससे यह स्थान भारतीय संस्कृति के लिए एक महत्वपूर्ण मान्यता रखता है।इस मंदिर के निर्माण से भारतीय संस्कृति में कई बदलाव होंगे।

 Shri Ram Janmbhoomi अपेक्षाकृत लंबी आकार की मंदिर:

Ayodhya, भारतीय संस्कृति की महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों में से एक है। यहां Shri Ram चंद्र जी का जन्म हुआ था और Shri Ram लला की प्राचीन मंदिर यहां स्थित थी। हाल ही में Ayodhya संगठन ने उसी जगह पर Shri Ram Janmbhoomi मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया है। यह मंदिर अद्वितीय बनाया जा रहा है, जिसकी लंबाई 380 फीट होगी, चौड़ाई 250 फीट रहेगी और ऊंचाई 161 फीट होगी।

तीन मंजिलों की विशालकाय मंदिर: Shri Ram Janmbhoomi Ayodhya की प्रमुख धार्मिक यात्राओं में से एक, Shri Ram Janmbhoomi मंदिर, अपने उच्च स्थानीय महत्व के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है। नए मंदिर की योजना के अनुसार, यह तीन मंजिलों की एक विशालकाय देवालय होगा। यह अद्वितीय रचना प्राचीन भारतीय वास्तुकला की सुंदरता को प्रदर्शित करेगी।

प्रभु Shri Ram का बालरूप: Shri Ram Janmbhoomi

Shri Ram लला सरकार का विग्रह मुख्य गर्भगृह में स्थापित होगा। यह बालरूप Ayodhya की प्रमुख आकर्षण स्थली बनकर खड़ा होगा। जब Shri Ram के बालरूप की मूर्ति दर्शनीय होगी, तब भक्तों में आनंद और भक्ति की अवधारणा में वृद्धि होगी। Shri Ram के इस स्वरूप में उपस्थिति भक्तों के दिल में समाने के साथ ही, भारतीय संस्कृति में सम्मान और प्रेम की भावना भी बढ़ जाएगी। यह मंदिर धार्मिक और सामाजिक सुख से ऊपर नीचे उठता हुआ उन्नति की विभिन्न आयामों को दिखा सकता है।

Shri Ram Janmbhoomi : भारतीय संस्कृति में बदलाव के संभावनाएं:

अयोध्या Shri Ram Janmbhoomi  : मंदिर का निर्माण, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण घटना होगी। यह वह स्थान है जहां भगवान Shri Ram ने जन्म लिया था और ब्रह्माण्‍ड के सबसे प्रसिद्ध और प्रेमित पुरुषोत्तम के रूप में पूजे जाते हैं। इसके साथ हमें इस स्वर्णिम मंदिर के माध्‍यम से Shri Ram शक्ति के साथ, इतिहास, धार्मिक और सांस्कृतिक हीरों की यात्रा पर निकलने का मौका मिलेगा।

दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी: Shri Ram Janmbhoomi

Ayodhya में नये मंदिर के निर्माण के दौरान ध्यान रखा जाएगा कि मंदिर को सभी लोगों तक पहुंचने की सुविधा मिले। संघ ने इस पर विचार करते हुए घोषणा की है कि मंदिर में दिव्यांगजनों और वृद्धों के लिए रैम्प और लिफ्ट की व्यवस्था रखी जाएगी। यह बदलाव उन लोगों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है जिनकी सवारी करने में असहायता होती है या किसी बाधा के कारण वे सीधे मंदिर में पहुंच नहीं पाते हैं। इससे ऐसे लोगों का मनोबल मजबूत होगा और उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव करने का मौका मिलेगा।

Shri Ram Janmbhoomi :  लोकप्रियता का एक उदाहरण

जितना भी संकट इस मुद्दे में पिछड़ी है, हो सकता है कि एक बार मंदिर का निर्माण पूरा हो जाए, उसकी लोकप्रियता बहुत ही उच्च होगी। भारत एक धर्मान्ध देश है, और Shri Ram Janmbhoomi को सच्चे मकान के आत्मीयता के बराबर देखा जाएगा। इसके साथ ही, लोगों का सिद्धांत हो गा कि नया मंदिर एक आध्यात्मिक स्थान के रूप में सबको प्रभावित करेगा। यहां हम देवी देवताओं की मूर्तियों के बारे में चर्चा करेंगे जो इस मंदिर के निर्माण के समय उकेरे जाएंगे।

 Shri Ram Janmbhoomi : मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर

Ayodhya का Shri Ram Janmbhoomi मुद्दा भारतीय इतिहास में विवादित रहा है और इसका निर्माण भी वक्ता के साथ बहुत समय लीने के पीछे छुपी योजनाओं की वजह से हो रहा है। इस मंदिर के साथ जुड़े औरों मंदिर के निर्माण का नया प्रस्ताव आने वाला है। इन मंदिरों में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी और ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होने का प्रस्ताव है। इससे पूजा और अभिवादन का एक नया माध्यम मिलेगा और लोग इन मंदिरों की सहायता से भगवान Shri Ram के अनुयायियों के अनुकरण का अवसर प्राप्त कर सकेंगे।

Shri Ram Janmbhoomi: मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार :

Ayodhya में Shri Ram Janmbhoomi  मंदिर के निर्माण का कार्य पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार और स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। यह मंदिर भारतीय संस्कृति और परंपराओं को मजबूती से जोड़ेगा। निर्माण कार्य में विशेष महत्व दिया गया है कि मंदिर न केवल Shri Ram चंद्रजी के जन्मस्थल को समर्पित हो, बल्कि यह भी धार्मिक स्थल के प्रतीक के रूप में उपयोगी हो।

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