अंतरिक्ष का खतरा: ‘खतरे में धरती: 2300 kg का ESA सैटेलाइट कभी भी गिर सकता है, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी!’ –

यह सैटेलाइट 1995 में छोड़ा गया था. 2011 में इसने काम करना बंद किया. तब.. तब से यह अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहा था. पृथ्वी के नजदीक आता जा रहा था.जब यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने अपना 2294 kg का सैटेलाइट छोड़ा, तो शायद उन्हे यह नहीं पता था कि यह सैटेलाइट धरती के नजदीक जा रहा है। धीरे-धीरे, यह सैटेलाइट पृथ्वी के चक्कर लगाने लगा और इसे “सूर्य का पक्षी” कहने लगे।

धरती से हटकर कैसे?

सूर्य का पक्षी ने अपनी यात्रा धरती से बहुत दूर तक की है। जब यह सैटेलाइट 1995 में प्रक्षेपित किया गया था, तो इसे सूर्य के पास ले जाने का कोई इरादा नहीं था। असल में, ESA के इंजीनियरों ने इसे एक विशेष गति और कोटिंग के साथ प्रक्षेपित किया था, ताकि इसे अपनी मां धरती से अलग करके शुरू हो सके। हालांकि, यह क्षमता सीमित थी और उसके कारण यह पूरी तरह से अपनी मातृभूमि से छूट गया नहीं।

अंतरिक्ष में चक्कर लगाने का कारण

2011 में, सूर्य का पक्षी के विज्ञापन का अंत हुआ। इसमें कार्य करने की क्षमता हार गई थी और इसलिए ESA इसे निष्क्रिय कर दिया। जब सूर्य का पक्षी ने सक्रियता की गुमराही खो दी, तो यह धीरे-धीरे पृथ्वी के चक्कर लगाने लगा। वैज्ञानिकों ने यह देखा कि इसकी स्थिति और गति बैड़न स्थिति से मिलती जुलती है, जिससे इसे “सूर्य का पक्षी” कहने लगे।

आसपासी धारा क्षितिज की दिशा में

सूर्य का पक्षी के धारा क्षितिज की दिशा में चक्कर लगाने से मतलब है कि यह धरती के आसपास से होकर जाता है। यह एक गंभीर मुद्दा है। धरती के उपग्रहों और धरती के अंतरिक्षीय साधनों को खतरा हो सकता है जब यह सैटेलाइट धरती के पास आता है। यह संभावना सलाहकारों को चिंतित कर रही है और उन्हें चेतावनी दी गई है कि “सूर्य का पक्षी” को नजदीक नहीं आने दिया जाना चाहिए।

नियंत्रण की कमी

इस सैटेलाइट को धरती से किनारे करने के कारणों में से एक उपयोगी थीकनिकी की कमी है। इस कमी के कारण, यह सैटेलाइट अपने इंजन का उपयोग करके अपने आप को धरती के समीप ले जाने की क्षमता खो दे सकता है। यदि ऐसा होता है तो यह सैटेलाइट धीरे-धीरे धरती के आत्मप्रवाह में गिर सकता है, जिससे अनईच्छिक नुकसान हो सकता है।

1995 में Launch हुआ, 2011 में काम करना बंद किया

उपग्रहों की दुनिया में तेजी से बढ़ते वैज्ञानिकी और कंप्यूटरीकरण ने हमारे जीवन को बहुतायत बदल दिया है। विभिन्न नागरिक क्षेत्रों में इसके उपयोग के अनेकों उदाहरण सामने आए हैं, जिसमें सैटेलाइट तकनीक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जब हम बात करते हैं सैटेलाइट की, तो यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) का एक विशालकाय अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट, Earth Surface and Atmosphere Observation Satellite (ESA), के बारे में जरूर बताना चाहेंगे। ESA की ये योजना 1995 में शुरू हुई थी और धीरे-धीरे धरती की ग्रेविटी में फंसकर नजदीक आता जा रही थी। लेकिन 2011 के बाद से यह सैटेलाइट काम नहीं कर रहा है। आइए इस विषय पर विस्तार से बात करते हैं।

उत्पत्ति से गिरने की संभावनाएं

2024 के फरवरी महीने में, ESA Agency ने आधिकारिक रूप से घोषणा की कि उनका एक सैटेलाइट 21 February को धरती पर गिर सकता है। यह बहुत ही गंभीर मामला है जिसपर केवल कुछ घंटों में निष्पक्ष Agency ने अपना फैसला लिया है। इसके बाद से, उनकी टीम बेहतर गहराई में उस उपकरण के चलन पर नजर रख रही है। यह टीम 9-10 घंटे से भी आगे-पीछे हो सकती है जिससे इसका लिंगन हो सके।

क्या वाकई सैटेलाइट धरती पर गिर सकता है?

सैटेलाइट के प्रशंसकों के लिए 18 February 2024 एक महत्वपूर्ण तारीख हो सकती है। Agency ने बताया कि इस सैटेलाइट का अपेक्षित गिरावट दिनांक 21 February 2024 हो सकता है। यह सूचना कई लोगों को सोच पर विचार करने के लिए मजबूर कर देगी। क्या धरती पर कभी भी सैटेलाइट गिर सकता है? यदि हां, तो क्या ठीक उस समय है जब ESA का सैटेलाइट धरती पर गिरेगा? इस बात का निश्चय करने के लिए हमें इसे विश्लेषित करने की आवश्यकता है।अंतरिक्ष में सैटेलाइट को धरती पर गिराने के लिए कई प्रक्रियाएं जरूरी होती हैं। एक उच्चतम नियंत्रणित निकटता अवस्था पर सैटेलाइट को बेड़ा का नियंत्रण करना होता है ताकि उसका केंद्र गूँजता हो सके और इसे धरती की ओर ले जाने के लिए बदलना होता है। एक कंपनी के अधिनियमित निरीक्षण के लिए जब यह निष्क्रिय हो जाता है, तो वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के समूह ध्यान देने लगते हैं कि सैटेलाइट या अन्य डेवाइस को कैसे संशोधित किया जा सकता है।

Leave a comment