Anupam Kher, भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री के प्रमुख Actor और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। यहां उन्होंने किसान आंदोलन के बारे में अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने बताया है कि Acting जगत से जुड़े लोगों को किसानों को लेकर अपनी आवाज उठाने का मौका नहीं मिलता। उन्होंने भी उभरती हुई समस्याओं के बारे में चर्चा करके दिखाया है कि यह आवाज़ उठाने का एक तरीका हो सकता है। उन्होंने अपने आंदोलनों और उनके परिणामों पर भी चर्चा की है, जहां एक देश के सभी लोगों के लिए एकजुट होने का समय था।
किसान आंदोलन पर Anupam Kher का विचार
Anupam Kher को हिंदी सिनेमा में उनकी कामयाबी के अलावा सामाजिक मुद्दों के लिए जाना जाता है। वे अन्य मुद्दों पर भी बेबाकी से अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। इसीलिए हाल ही में अभिनेता ने एक बातचीत के दौरान किसान आंदोलन पर भी अपने विचार साझा किए।Anupam Kher ने यह कहा कि हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार होना चाहिए, चाहे वह किसान हो या कोई और। गणतंत्र में आपसी सहभागिता और विपक्ष के ताकतवर होना एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। लेकिन, वे यह भी रोशन करा रहे हैं कि हिंदी सिनेमा की अभिनेत्रियों ने किसान आंदोलन का समर्थन करने में सबसे आगे कदम रखा है।अनुपम खेर ने अपने वक्तव्य में कहा कि वे जानते हैं कि वर्तमान में कृषि क्षेत्र के किसानों के लिए किसी न किसी समस्या से जूझना महत्वपूर्ण है। उन्होंने आंदोलन के तहत इस मुद्दे का समर्थन किया है ताकि किसानों के हक की रक्षा की जा सके।
किसान आंदोलन का प्रभाव
Anupam Kher के किसान आंदोलन पर अपने विचार साझा करने से पहले, हमें इस आंदोलन के प्रभाव को समझने की आवश्यकता होती है। यह आंदोलन कृषि क्षेत्र में सुधारों की मांग को लेकर चल रहा है। कोई भी आंदोलन एकत्रित करने में समय और प्रयास लगाता है, लेकिन यह किसानों के लिए हमारे देश की महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है।इस आंदोलन के प्रमुख प्रभावों में से एक है कि यह किसानों को सुरक्षित मजदूरी की मांग पर उकसाने में सफल रहा है। किसानों ने अपनी मांग को सरकार को सुनाया है, जो उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए जिम्मेदार है। इसके साथ ही, उन्होंने आर्थिक और सामाजिक बदलाव की बात की है, जो उनके जीवन को सुधार सकता है।
Anupam Kher की एकांतवादी पहचान
Anupam Kher के अनुसार, अभिनेताओं और मनोरंजन जगत से जुड़े लोगों को योद्धा नहीं माना जाता है। उन्होंने बताया कि अपने संघर्षों के बावजूद उनकी आवाज बहुत कम लोगों तक पहुंचती है। यह उन्हें अलोकप्रिय बना सकता है, लेकिन उन्होंने कहा कि ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने यह भी साझा किया है कि उन्हें तंग करने वाली बातों के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने का नियमित अभ्यास होता है। अनुपम खेर ने इसे अपनी एकांतवादी पहचान के साथ जोड़ा है और कई लोगों के लिए एक मिस्टरियस चेहरा बन गए हैं।
बातचीत: एक प्रभावी माध्यम
इस बातचीत में Anupam Kher किसानों के विरोध प्रदर्शन के बारे में बोलते हुए कहा कि हर किसी को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन इसका असर आम लोगों के जीवन पर नहीं पड़ना चाहिए। अभिनेता ने कहा, “हर किसी को घूमने-फिरने की आजादी, अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार है, लेकिन किसी को भी दूसरे लोगों को असुविधा पहुंचाने का कोई हक नहीं है।जब हम बात करते हैं किसान आंदोलन की, तो हमें इसमें सभी को भागीदारी की आवाज बुलानी चाहिए। यह समय हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इस आंदोलन का परिणाम हमारे देश की विकास और प्रगति को प्रभावित करेगा। अनुपम के विचार दर्शाते हैं कि विरोध प्रदर्शन करने का हक हर किसी को है, लेकिन इसका जीवन पर क्या प्रभाव होगा, इसे हमें ध्यान में रखना चाहिए।
आर्थिक वृद्धि का मुख्य स्रोत हमारे किसान
यह सच्चाई है कि किसान अन्नदाता हैं। हम सब जानते हैं कि देश की आर्थिक वृद्धि का मुख्य स्रोत हमारे किसान ही हैं। उन्हीं के मेहनत और अथक प्रयासों से हमें भोजन मिलता है और हमारी कामयाबी में उनका ही योगदान होता है। इसलिए हमें यह कहकर रक्षात्मक महसूस कराया जाता है कि हम अन्नदाता के बारे में बात कर रहे हैं।मैं चाहता हूँ यह बताना कि, किसानों की मार्गदर्शन और सुझावों के बिना, हमारा देश कभी भी एक प्रगतिशील विचारधारा में नहीं बदल सकता। यही कारण है कि उनकी मांगों पर ध्यान देना और उनसे सहयोग करना हमारा दायित्व है।